Battle of saharanpur

बंदा सिंह बहादुर का सहारनपुर  पर
हमला----------
यमुना पार कर बन्दा सिंह ने सहारनपुर पर भी
हमला किया,सरसावा और चिलकाना अमबैहटा
को रोंदते हुए वो ननौता पहुंचा,ननौता में पहले
कभी गुज्जर रहते थे जिन्हें मुसलमानों ने भगा कर
कब्जा कर लिया था,जब गूजरों ने सुना कि
बन्दा सिंह बहादुर नाम के सिख राजपूत बड़ी
सेना लेकर आये हैं तो उन्होंने ननौता के
मुसलमानों से हिसाब चुकता करने के लिए बंदा
सिंह से गुहार लगाई,और बन्दा सिंह से कहा कि
हम गुज्जर भी नानकपंथी हैं।बन्दा सिंह ने
उनकी फरियाद मानते हुए ननौता पर जोरदार
हमला कर इसे तहस नहस कर दिया,सैंकड़ो
मुस्लिम मारे गए,तब से ननौता का नाम फूटा
शहर पड़ गया.
इसके बाद बंदा सिंह ने बेहट के पीरजादा जो
गौकशी के लिए कुख्यात थे उन पर जोरदार
हमला कर समूल नष्ट कर दिया,यहाँ के लोकल
राजपूतो ने बंदा सिंह बहादुर का साथ
दिया.इसके बाद बंदा सिंह ने रूडकी पर भी
अधिकार कर लिया.........

बन्दा सिंह का जलालाबाद( शामली )पर
हमला----
शामली में जलालाबाद पहले राजा मनहर
सिंह पुंडीर का राज्य था और इसे मनहर खेडा
कहा जाता था। इनका ओरंगजेब से शाकुम्भरी
देवी की और सडक बनवाने को लेकर विवाद हुआ।
इसके बाद ओरंगजेब के सेनापति जलालुदीन पठान (इसके पिता मीर हजार खान को मनहार खेडा के पूंडीरों ने पूर्व मे किए हमले मे 14000 की फोज सहित काट  दिया था)
ने हमला किया और एक ब्राह्मण रसोईये ने लालच मे आकर  राजपूतो के भोजन मे विष  मिला दिया ओर किले का
दरवाजा खोल दिया। जिसके बाद नरसंहार में
सारा राजपरिवार परिवार मारा गया।
सिर्फ एक रानी जो गर्भवती थी और उस समय
अपने मायके में थी,उसकी संतान से उनका वंश आगे
चला और मनहारखेडा रियासत के राजपूत आज 12 गांव मे  बस्ते है  ज़िनहे मनहारिये बोला जाता है - भारी ,भाबसी ,काशीपुर ,ऊमाही ,ठसका ,कल्लरपुर ,भनेडा ,
दखोडी, ऊमरपुर ,रोनी ,हरनाकी ,मंगनपुर /
इस राज्य पर जलालुदीन ने कब्जा कर इसका
नाम जलालाबाद रख दिया।ये किला आज भी
शामली रोड पर जलालाबाद में स्थित है।
जलालाबाद के पठानो के उत्पीडन की शिकायत
बन्दा सिंह पर गई और कुछ दिन बाद ही इस
 क्षेत्र के पुंडीर राजपूतो की मदद से
जलालाबाद पर बन्दा बहादुर ने हमला
किया.
राजपूताने से चौहान, तौमर, कछवाह, रैकवार राजपूतों की टुकड़ियां भी मदद को आई थी। जो फ़िर यहीं बस गए थे। इसी कारण इस क्षेत्र में सभी गौत्र मिलते हैं। 
बीस दिनों तक सिखो और राजपूतो ने किले का घेरा रखा,यह मजबूत किला पूर्व में पुंडीर राजपूतो ने ही बनवाया था ,इस
किले के पास ही कृष्णा नदी बहती थी,बंदा
बहादुर ने किले पर चढ़ाई के लिए सीढियों का
इस्तेमाल किया, रक्तरंजित युद्ध में जलाल खान
के भतीजे ह्जबर खान,पीर खान,जमाल खान और
सैंकड़ो गाजी मारे गए,जलाल खान ने मदद के
लिए दिल्ली गुहार लगाई,
दुर्भाग्य से उसी वक्त जोरदार बारीश शुरू हो
गई,और कृष्णा नदी में बाढ़ आ गई,वहीँ दिल्ली से
बहादुर शाह ने दो सेनाएं एक जलालाबाद और
दूसरी पंजाब की और भेज दी,पंजाब में बंदा की
अनुपस्थिति का फायदा उठा कर मुस्लिम
फौजदारो ने हिन्दू सिखों पर भयानक जुल्म शुरू
कर दिए,इतिहासकार खजान सिंह के अनुसार
इसी कारण बंदा बहादुर और उसकी सेना ने
वापस पंजाब लौटने के लिए किले का घेरा
समाप्त कर दिया,और जलालुदीन पठान बच
गया/

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