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HISTORY OF PUNDIR'S RAJPUT(PART-4)

 पढ़िए एक पुण्डीर राजपूत वीर की कहानी जिसने मोहमंद गौरी को बन्दी बना लिया था :- विजयादशमी पर विशेष बल प्रदर्शन करने के लिए सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने आठ गज ऊँचा, आठ रेखाओं से युक्त अष्ट धातु का तीस मन लोह युक्त एक स्तम्भ बनवा कर गड़वा दिया, जिसे चुने हुए वीरों को घोड़े पर सवार होकर लोहे की सांग से उखाड़ना था। पृथ्वीराज स्वयं इस खेल में शामिल हुए पर लोह स्तम्भ को नहीं उखाड़ पाये। उनके कई प्रसिद्ध वीर भी असफल रहे, तब वीरवर धीर पुण्डीर ने पृथ्वीराज से उनका घोड़ा माँगा। धीर पुण्डीर ने पृथ्वीराज के घोड़े पर सवार होकर एक ही झटके में उस स्तम्भ को उखाड़ दिया।  धीर पुण्डीर के इस विरोच्चित कार्य पर सम्राट पृथ्वीराज ने उसे सर्वोच्च शूरमा के विरुद से विभूषित कर सम्मानित किया। इस अवसर पर धीर पुण्डीर ने भी घोषणा की कि वह शहाबुद्दीन गौरी को पकड़ कर सम्राट पृथ्वीराज चौहान के चरणों में पटकेगा। उसकी इस गर्वोक्ति पर जैत्र परमार आदि कई वीर जल भुन गए। जब धीर पुण्डीर आश्विन मास में देवी की आराधना के लिए जालंधर किया तब जैत्र परमार ने इसकी सूचना गौरी को भेजकर उसकी मंशा बता दी। गौरी के चुने हुए सैनिकों ने भगवा वस्त्र धा

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